वाराणसी (एसएनबी)। कूड़े की समस्या से निपटने के लिए नगर निगम ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत टेरी और जीआईज़ेड‚ टेट्रा पैक‚ ड्यूश गेसलस्चफ्ट फर इंटरनेशनल के सहयोग से नगर निगम भेलूपुर स्थित भवनिया पोखरी में एक मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी की शुरु आत की गयी है। मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी को छंटाई केंद्र भी कहते हैं। यहाँ इकठ्ठा होकर आए कूड़े को अलग किया जाएगा। जैसे आर्गेनिकवेस्ट‚ प्लास्टिक‚ पेपर‚ मेटलइत्यादि।स कूड़े में से आर्गेनिक कूड़े को अलग कर बायोमेथेनेशन प्लांट में गैस बनाने के लिए भेजा जाएगा और बिकने वाले माल को रीसाइक्लिंग के लिए बचा हुआ सूखा कचरा जिसे रीसायकल नहीं किया जा सकता है उसे पास ही में स्थित सीमेंट प्लांट में भेजा जाएगा। इस एमआरए¢ का शुभारंभ वाराणसी की मेयर मृदुला जायसवाल द्वारा किया गया॥। नगर आयुक्त गौरांग राठी ने कहा‚ ‘मैं इस मटीरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर की स्थापना करने के लिए नगर निगम के साथ हाथ मिलाने के लिए टेट्रा पैक‚ जीआईजेड और टेरी को धन्यवाद देना चाहूंगा। परियोजना घरेलू स्तर पर ही स्त्रोत पृथक्करण हो जाने और संचालन के लिए अनौपचारिक क्षेत्र को शामिल करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इस तरह की सार्वजनिक–निजी साझेदारियों वाली पहल वाराणसी में स्थायी प्रबंधन प्राप्त करने में महत्वपूर्ण होंगी। ॥ यह विकेंद्रीकृत प्रबंधन मॉडल के अन्य भागों और अन्य शहरों में प्रकृति के लिए एक आर्दश है। टेट्रा पैक एशिया पैसिफिक के वाइस प्रेसिडेंट सस्टेनेबिलिटि‚ जयदीप गोखले ने कहा‚ ‘हम oढ़ता से इस बात पर विश्वास करते हैं कि रिसायकल करने से अपशिष्ट को धन में बदला जा सकता है। जीआईजेड़ इंडिया के जलवायु परिवर्तन निदेशक आशीष चतुर्वेदी ने कहा‚ ‘वाराणसी देश के सबसे बड़े पर्यटक केंद्रों में से एक है जहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं। वाराणसी जैसे चहल पहल वाले शहर को एक मजबूत अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली की आवश्यकता है। परियोजना कचरा भराव क्षेत्र में डालने या कचरे को जलाने जैसे अस्थायी अपशिष्ट प्रबंधन से उत्सÌजत होने वाली ग्रीन हाउस गैस को कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इस के शुभारंभ से और जागरूकता निर्माण पर बढ़ते ध्यान केंद्र से‚ हमें विश्वास है कि वर्तमान अपशिष्ट परिoश्य में व्यापक बदलाव आएगा।'पर्यावरण और अपशिष्ट प्रबंधन‚ टेरी के निदेशक डॉ. सुनील पांडे ने कहा‚ “राष्ट्रीय स्तर पर उपयुक्त शमन क्रिया परियोजना के भाग के रूप में टेरी द्वारा वारणसी में किए गए बेसलाइन अध्ययन के अनुसार‚ अगर अपशिष्ट प्रबंधन ठीक से नहीं होता है तो इससे उत्सर्जन बढ़ सकता है। वाराणसी जैसे शहर में‚ इस तरह २०२० में १‚३५००० टन से अधिक उत्सर्जन होगा। इसलिए उत्सर्जन को कम करने के लिए शहर में अपशिष्ट प्रबंधन को सुधारने की तत्काल आवश्यकता है। इस दौरान महापौर मृदुला जायसवाल भी उपस्थित रहीं॥।